भारत का अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव बना आकर्षण का केंद्र उमाशंकर मिश्र

 भारत का अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव बना आकर्षण का केंद्र

उमाशंकर मिश्र 




नई दिल्ली, 22 जनवरी (इंडिया साइंस वायर) (prajaamaravathi): राजा भोज की नगरी भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद संस्थान में चल रहे तीन दिवसीय ‘भारत के अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव’ (ISFFI) में दिखायी जाने वाली फिल्में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। भोपाल में चल रहे ‘भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF)-2022’ का एक प्रमुख अंग ‘भारत का अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव (ISFFI) है, जिसमें देश-विदेश से आयी विज्ञान फिल्मों का मेला लगा हुआ है। 

फिल्म महोत्सव के दूसरे दिन देश-विदेश की कुल 30 फिल्में प्रदर्शित की गईं। इस दौरान प्रदर्शित जिन फिल्मों को लोगों द्वारा सबसे अधिक पसंद किया उनमें विज्ञान भारती द्वारा निर्मित अंग्रेजी फिल्म ‘आचार्य पी.सी. रेः द नेशनलिस्ट साइंटिस्ट’; ईएमआरसी, गुजरात विश्वविद्यालय की अंग्रेजी फिल्म ‘मशरूमः द मैजिकल फंगी’; ऑस्टिन फास्ट तथा महेश्वर हरिहरन द्वारा निर्मित स्पेनिश फिल्म ‘एल कैन्टो डेल क्वेतज़ल (क्वेतज़ल का गीत)’ और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स द्वारा निर्मित अंग्रेजी फिल्म ‘हानले: इंडियाज फर्स्ट डार्क स्काई रिजर्व’ प्रमुखता से शामिल हैं।


विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के प्रभावी हस्तक्षेप से स्थायी विकास, जलवायु परिवर्तन के शमन, पर्यावरण और गुणवत्तापूर्ण जीवन से जुड़ी 90 से अधिक नामित फिल्में इस फिल्म महोत्सव के दौरान निशुल्क प्रदर्शित की जा रही हैं। विज्ञान फिल्मों का यह मेला 21-23 जनवरी 2023 तक चलेगा।

डॉ पी.सी. रे एक सच्चे राष्ट्रवादी थे, जो अखंड भारत की शानदार उपलब्धियों पर गर्व करते थे। एक प्रशिक्षित केमिस्ट डॉ पी.सी. रे ने औद्योगीकरण की शुरुआत करने और युवाओं को सशक्त बनाने और उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने के लिए कई विनिर्माण इकाइयों को स्थापित करने में अपने ज्ञान का उपयोग किया। उन्होंने "हिंदू रसायन विज्ञान का इतिहास" शीर्षक से दो-खंड के ग्रंथ को लिखने के लिए मूल स्रोतों पर श्रमसाध्य शोध किया, जिसने हमारी प्राचीन ज्ञान प्रणाली की निरंतर विरासत की पुष्टि की। यह माना जाता है कि उन्होंने अंग्रेजों के औपनिवेशिक आधिपत्य के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन का गुप्त रूप से समर्थन किया था। इन बातों को उन पर केंद्रित फिल्म में बखूबी उकेरने का प्रयास किया गया है। 


‘हानले: इंडियाज फर्स्ट डार्क स्काई रिजर्व’ लद्दाख के हानले में हाल ही में अधिसूचित भारत के पहले डार्क स्काई रिजर्व के पीछे के विचार को प्रस्तुत करती है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे वैज्ञानिक अनुसंधान, खगोलविदों,प्रशासन और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग से अंधेरे आसमान को संरक्षित करने और खगोल-पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। प्रकाश प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक मुद्दा है। एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया का 80% हिस्सा प्रकाश-प्रदूषित आकाश के नीचे रहता है,जो न केवल मनुष्यों बल्कि वनस्पतियों और जीवों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। हमें प्रकाश प्रदूषण के कारण रात्रि आकाश की विरासत को खोने का गंभीर खतरा है।



‘मशरूम: द मैजिकल फंगी’फिल्म गुजरात के घने जंगल में पाये जाने वाले 20 से अधिक प्रकार के फंगस की खोज के बारे में एक आकर्षक यात्रा पर ले जाती है। इसी तरह, विभिन्न कॉफी और कोको उत्पादकों से मुलाकात करते हुए फिल्म हमें चियापास,मैक्सिको ले जाती है। ‘एल कैन्टो डेल क्वेतज़ल (क्वेतज़ल का गीत)’फिल्म अन्वेषण के माध्यम से,उत्पादन उद्योग की गतिशीलता और जटिलताओं के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व मेक्सिको में आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों को यह फिल्म उजागर करती है।


सत्यजित रे फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, कोलकाता द्वारा बांग्ला एवं अंग्रेजी भाषा में निर्मित ‘बोर्शी – द फिश’; शिवा मोमतहैन और सीमा मोमतहैन द्वारा निर्मित ईरानी से आयी मूक फिल्म ‘क्राइसिस’; मलेशियाई मूल की मलय भाषा में अजरे अहमद मुस्तफा हाद की फिल्म ‘इंजीनियर्स चिली’ सहित कुल 30 फिल्में फिल्म महोत्सव के दूसरे दिन प्रदर्शित की गईं। 



फिल्म महोत्सव के दूसरे दिन ‘जी20 के संदर्भ में भारत की प्राथमिकताएं और विज्ञान फिल्मों की भूमिका’ विषय पर केंद्रित पैनल चर्चा भी आयोजित की गई थी। डॉयचे वेले, जर्मनी के हिंदी विभाग प्रमुख और वरिष्ठ पत्रकार महेस झा, विज्ञान संचारक एवं लेखक नेहा त्रिपाठी, सेंटर फॉर एन्वायरमेंट ऐंड सस्टेनेबल डेवेलपमेंट, श्रीनगर, जम्मू कश्मीर से जुड़े वरिष्ठ फिल्मकार जलालुद्दीन बाबा, केरल स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड की फिल्मकार जया जोस राज सीएल इस चर्चा में शामिल थे। पैनल चर्चा की अध्यक्षता सीएसआईआर-एनआईआईएसटी, तिरुवनतपुरम के वैज्ञानिक डॉ यूएस हरीश कर रहे थे। जबकि, उपाध्यक्ष के तौर पर एमिटि यूनिवर्सिटी, नोएडा की प्रोफेसर तनु जिंदल उपस्थित थीं। 



आईएसएफएफआई के समन्वयक और विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक निमिष कपूर ने बताया है कि “विज्ञान फिल्मोत्सव के अंतर्गत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शोध तथा विकास से जुड़े विविध विषयों पर चार श्रेणियों में फिल्म प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं। प्राप्त 437 प्रविष्टियों में से 61भारतीय और 33 विदेशी फिल्मों को समारोह के लिए नामांकित किया गया है। भारत, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, रूस, कनाडा, इज़राइल, फिलीपींस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों की पुरस्कृत विज्ञान फिल्मों की विशेष स्क्रीनिंग फिल्मोत्सव में की जाएगी। फिल्म महोत्सव में प्रवेश के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं है। ये फिल्में विज्ञान प्रसार के यूट्यूब चैनल पर भी देखी जा सकती हैं।” 


फिल्मोत्सव केंद्रित पुस्तक का विमोचन भी कार्यक्रम के दौरान किया गया। इस पुस्तक में सम्पूर्ण फिल्म फेस्टिवल, इसमें सम्मलित प्रतिष्ठित हस्तियां, जूरी मेंबर्स, कार्यक्रम के मुख्य आयोजक, नॉमिनेटेड जूरी, अवार्ड जूरी, फिल्मों के स्क्रीनिंग की समय, सत्र, सार, एवं फिल्म निर्देशकों से जुड़ी जानकारी दी गई है। इस पुस्तक का विमोचन फिल्म निर्माता और जूरी अध्यक्ष अरुण चड्डा, प्रसिद्ध अभिनेता राजीव वर्मा, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति  प्रोफेसर शंभुनाथ सिंह, देबमित्र मित्रा, डी.जे. पति, पुष्पेंद्रपाल सिंह, सुपरिचित विज्ञान संचारक के.पी. ईश्वर एवं वरिष्ठ पत्रकार जी. श्रीदत्तन उपस्थित थे। (इंडिया साइंस वायर)



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